मुक्तक/दोहा

अहिंसा के दोहे

सत्य-अहिंसा रोशनी,हैं जीवन के सार।
लाते हैं जो हर घड़ी,अंतहीन उजियार।।

नीति अहिंसा की बड़ी,सचमुच बहुत महान ।
जीवन की जिससे बढ़े,सच में नित ही शान ।।

जियो सदा तुम ज्ञान से,सदाचार का भाव।
सतत् अहिंसा-भाव से,चोखा रहे प्रभाव।।

जीवन में नित हर्ष हो,बिखरे नित आनंद ।
भाव अहिंसा उच्चतम,प्रभु भी करें पसंद।।

अपनाना तुम नित दया,रखना करुणा भाव।
संग अहिंसा के रहे ,कोमलता का ताव।।

धर्मों का कहना यही,और यही आदेश।
मानव मानव सा रहे,क्यों खोए आवेश।।
तन-मन दोनों शुद्ध हों,तभी बनेगी बात।
साथ अहिंसा को रखो,तो जीवन सौगात।।
पावनता इक भावना,पावनता संदेश।
रहेअहिंसा तो सदा,हटता सकल कलेश।।
सदा अहिंसा रख हृदय,चलता चल अविराम।
बन जाएगा जन्म यह,सचमुच में अभिराम।।
— प्रो.(डॉ) शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]