धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

निहंग सिख समुदाय का होला मोहल्ला

फाल्गुन माह में फाग और फिर चारों ओर उल्लास का वातावरण होना अनिवार्य सा लगता है। इस अवसर पर निहंग अपने उल्लास और आनंद का प्रदर्शन अपनी युद्ध कला का कौशल तथा उससे संबंधित कलाओं के माध्यम से व्यक्त करते हैं। वे फाल्गुन मास में होली के उत्सव की प्रतीक्षा करते हैं ताकि वे भी अपने उल्लास का प्रदर्शन कर सकें और अपनी पूरी तैयारी के साथ आनंदपुर साहिब आने को आतुर रहते हैं। शब्दों में वर्णन करना कठिन है इसे स्वयं देख कर ही आनन्द की अनुभूति होती है।

पंजाब तथा अन्य प्रांतों में सिख समुदाय होली के अगले दिन होला मोहल्ला का उत्सव विशेष परम्परा से मनाता है। गुरुद्वारों में अखंड पाठ और कीर्तन होता है और लंगर (सामूहिक भोज) का आयोजन होता है।सभी को एक जैसा सादा और शाकाहारी भोजन दिया जाता है। अन्य प्रांतों की तरह इस दिन रंग का कोई खेल नहीं होता।

पंजाब के आनन्द पुर साहिब नामक नगर में यह उत्सव बड़े विशाल और भव्य स्तर पर निराले ढंग से मनाया जाता है। निहंग सम्प्रदाय के लोग अपनी परम्परागत वेशभूषा में अधिक से अधिक संख्या में आनन्द पुर साहिब में एकत्रित होते हैं और युद्ध से जुड़ी और जोखिम भरी गतिविधियों का प्रदर्शन करते हैं। आनंद पुर साहिब में प्राचीन गुरूद्वारा है जिसका प्रांगण बड़ा विस्तृत है। बहुत वर्ष पहले प्रांगण में ही यह उत्सव मनाया जाता था परन्तु अब बाहर खुले मैदान में निहंगों की कला और कौशल के प्रदर्शन की व्यवस्था की जाती है। निहंग सिख समुदाय से ही हैं परन्तु इनकी वेशभूषा सैनिकों जैसी होती है। यह लोग घोड़े पर या पैदल ही पूरी वेशभूषा में होते हैं। पैदल चलते समय हाथ में बरछा अवश्य होता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार वैसे तो हर सिख (खालसा), पुरुष और स्त्री के लिये पांच कक्के अर्थात् क व्यंजन से आरम्भ होने वाली वस्तुओं को प्रत्येक समय धारण करना आवश्यक है परन्तु निहंग के लिये तो बहुत आवश्यक हैं। यह कक्के हैं – कृपाण (तलवार), केश (सिर के बाल), कड़ा, कछ(विशेष प्रकार का जांघिया) और कंघा। इनके सिर पर विशेष प्रकार से बंधी हुई पगड़ी जो ऊपर से नोकीली और लोहे के तेज धार वाले गोल चक्र के साथ होती है। कुर्ता या कमीज़ बिलकुल सीधी सा और नीचे कछ।कमर पर चादर और उसके ऊपर रस्सी जैसा डोरा बंधा या कसा होता है।सारी वेशभूषा गहरे नीले रंग की होती है। ऐसे ही यह सो जाते हैं।वास्तव में सिख धर्म के 10वें गुरु श्री गोबिंद सिंह ने ऐसे व्यक्तियों को सैनिकों की भांति प्रशिक्षण दिया था जो तुरंत युद्ध कर सके। उस समय युद्ध प्रायः लुके और छुपे होते थे। एक दूसरे पर अचानक आक्रमण कर दिया जाता था। सैनिकों का आमना सामना कम ही होता था।इस लिये ऐसी युद्ध कला में निपुण सैनिक निहंग ही थे। यह आज के कमांडो की तरह के होते हैं । इनका रहन-सहन डेरे (अस्थाई आश्रय) में होता था जो अन्य लोगों से बहुत दूर होता था।सभी इनसे भयभीत रहते थे। अब इनके डेरे अलग हैं।डेरों में ही इन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है। युवावस्था से पूर्व ही इनका प्रशिक्षण आरम्भ कर दिया जाता है।

निहंग समुदाय के प्रशिक्षित कलाकार उस दिन अपनी वीरता, शौर्य और पराक्रम का प्रदर्शन करते हैं। एकल, जोड़ा और सामूहिक स्तर पर ये युद्ध में योद्धा के रूप में पराक्रम प्रदर्शित करते हैं।एक हाथ में तलवार घुमाते हुये वृत में चारों ओर घूमते हैं।सीधी और उल्टी तरफ से तलवार को घुमाते हैं और बिना ढाल के अपने आप को सुरक्षित रखते हैं। इसी तरह दोनों हाथों में एक एक तलवार सभी तरफ घुमाते हैं। अकेला एक ही निहंग तीन और चार योद्धाओं से अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए शौर्य का प्रदर्शन करता है।
तलवार के स्थान पर कटार का प्रयोग भी किया जाता है। कटार तलवार की तरह का शस्त्र है परन्तु यह दो धार वाला, अधिक लम्बा और भारी होता है। कुछ निहंग दो कटारों को एक साथ भी घुमाते हैं। बरछा अथवा नेज़ा से आक्रमण करना और उससे अपने आप को सुरक्षित रखने का प्रदर्शन भी होता है।
इनको घुड़सवारी के साथ शस्त्रों का प्रदर्शन करते हुये देख बड़ा आश्चर्य होता है। घोड़े और शस्त्रों पर कितना कमाल का नियंत्रण है।थोड़ी सी भी चूक हो जाये तो जान जा सकती है। घुड़सवारी में कभी-कभी दो घोड़ों पर एक साथ चलते हैं। ऐसे कौशल का प्रदर्शन देखना अत्यंत डरावना और रोचक परन्तु ज्ञानवर्धक होता है। इनके घोड़े भी प्रशिक्षित होते हैं।अरब के देशों से लाकर प्रशिक्षण दिया जाता है। आजकल ऐसे घोड़े का मूल्य रुपये 50,60 लाख से ऊपर ही होता है। गत वर्ष तो एक घोड़े का अधिकतम मूल्य डेढ़ करोड रुपये था।

डॉ. वी.के. शर्मा

मैं डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय सोलन से सेवा निवृत्त प्रोफेसर बागवानी हूं और लिखने का शौक है। 30 पुस्तक 50 पुस्तिकाएं और 300 लेख प्रकाशित हो चुके हैं। फ्लैट 4, ब्लाक 5ए, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, संजौली, शिमला 171006 हिमाचल प्रदेश। मेल [email protected] मो‌ फो 9816136653