कविता

मै क्या करूँ

मै क्या करूँ ,
समझ नहीं पा रहा हूं ,
आखिर क्यों मै इतना सोचता हू  ,
मै इतना जीवन के सपने देखता था ,
मै क्यों इतना पागल होता हूं ,
दिल मे हमेशा दर्दो का महफिल लगा होता है ,
आंखों में हमेशा आंसू भरा रहता है ,
आखिर क्यों ऐसा मेरे साथ ही होता है ,
जब भी अकेला होता हूं  ,
आंखों में पानी भर जाता है ,
दिल करता है ,
मै स्वयं को समाप्त कर लू ,
ऐसा क्यों होता है ,
शायद मेरी जिन्दगी की आखिरी शब्द हो  ,
या शायद मै ही आखिरी हू ,
अब इस दर्द से मुझे रहा नहीं जा रहा है ,
आखिर क्यों मै अलग महसूस करता हू ,
स्वयं को मै डिप्रेशन में महसूस कर रहा हूं ,
कुछ सोच नही पाता हू,
दुनिया की दुनियादारी ,
समाज की मजबुरी ,
मुझे ना जीने देती है ना मरने देती है ,
मै क्या करूँ ,
कोई बताए मुझे ,
या आत्म को स्वयं मे लिप्त कर दू ,
मुझे इस नश्वर दुनिया में ,
सिर्फ अशांति ही अशांति ,
जी करता है जोगी ही बन जाऊँ ,
मुझे अब दुनिया से रिश्ते-नाते ,
सभी अनसुलझा लगता है ,
ना अब आत्मविश्वास बच पाया ,
और ना अब अपनी लालसा ,
मै क्या करूँ !
— रुपेश कुमार

रूपेश कुमार

भौतिक विज्ञान छात्र एव युवा साहित्यकार जन्म - 10/05/1991 शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी , इसाई धर्म(डीपलोमा) , ए.डी.सी.ए (कम्युटर),बी.एड(फिजिकल साइंस) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! प्रकाशित पुस्तक ~ *"मेरी कलम रो रही है", "कैसें बताऊँ तुझे", "मेरा भी आसमान नीला होगा", "मैं सड़क का खिलाड़ी हूँ" *(एकल संग्रह) एव अनेकों साझा संग्रह, एक अंग्रेजी मे ! विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओ मे सैकड़ो से अधिक कविता,कहानी,गजल प्रकाशित ! राष्ट्रीय साहित्यिक संस्थानों से सैकड़ो से अधिक सम्मान प्राप्त ! सदस्य ~ भारतीय ज्ञानपीठ (आजीवन सदस्य) पता ~ ग्राम ~ चैनपुर  पोस्ट -चैनपुर, जिला - सीवान  पिन - 841203 (बिहार) What apps ~ 9934963293 E-mail - - [email protected]