गीत/नवगीत

अपने आपको मित्र बनाओ

जब भी आपको साथ चाहिए, अपने साथी खुद बन जाओ।
अपने आपको मित्र बनाओ, साथी न खोजो, साथ निभाओ।।

खुद को अच्छी तरह से जानो।
क्षमताओं  को,  खुद पहचानो।
करो कभी ना, आत्म प्रशंसा,
सहयोग मिला, उसको भी मानो।
समय है सीमित, काम करो, काम के केवल गाने न गाओ।
अपने आपको मित्र बनाओ, साथी न खोजो, साथ निभाओ।।

खुद ही खुद को बढ़ना होगा।
पथ में पथिक हैं, मिलना होगा।
पथ में पथिक को, नहीं है बसना,
विश्राम किया, अब चलना होगा।
साथी की चाह, सभी को यहाँ पर, आगे बढ़कर गले लगाओ।
अपने आपको मित्र बनाओ, साथी न खोजो, साथ निभाओ।।

किसी की करनी, क्यों है प्रतीक्षा?
सबकी  अपनी-अपनी  इच्छा।
अपने आपको, समझ न पाए,
देते फिरते, जग को दीक्षा।
कोई व्यक्ति पूरण ना होता, खुद समझो तुम, ना समझाओ।
अपने आपको मित्र बनाओ, साथी न खोजो, साथ निभाओ।।

ओरों  की ही, चर्चा  करते।
खुद ही खुद की ऊर्जा हरते।
कमी ओरों की निकाल रहे जो,
समझो, अपने आप से डरते।
विश्वास न खुद पर, साथी खोजो, साथ देकर विश्वास कमाओ।
अपने आपको मित्र बनाओ, साथी न खोजो, साथ निभाओ।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)