लघुकथा

व्हाट्सएप

रक्षा बेटी नमस्ते। शादी की बधाई। हैप्पी ससुराल गेंदा फूल। तुम्हारी शिकायत कि मैं तुम्हें आशीर्वाद देने स्वयं तुम्हारे विवाह समारोह में नहीं आया। बेटी जी व्हाट्सएप पर तुम्हारा निमंत्रण पत्र मिला था। एक ही छोटे से कस्बे में होते हुए भी तुम्हें अथवा तुम्हारे परिवार के किसी भी सदस्य को कार्ड घर पर देने आने का समय नहीं मिल पाया। वरना आशीर्वाद देने स्वयं मंडप तक आता। व्हाट्सएप पर प्राप्त कार्ड का उत्तर व्हाट्सएप पर ही शगुन के दो हजार रुपए के नोट पर एक रुपए का सिक्का रखकर फोटो लेकर भेज तो दी ही थी। जिस प्रकार ऑनलाइन कार्ड आया उसी प्रकार शगुन भेजकर आगे के लिए तुम्हें एक सबक सिखाने का प्रयास किया है। चिंता मत करना। नाराज नहीं हूं। जिस नोट की फोटो भेजी है वह नोट सीलबंद लिफाफे में तुम्हारी धरोहर के रूप में सुरक्षित है। जब भी समय निकालकर मिलने आओगी वह लिफाफे की बहुत छोटी सी अमानत तुम्हें मिल जायेगी। प्रतीक्षा रहेगी ही। तुम्हारे सुनोजी एजी पति परमेश्वर को शुभकामना एवम तुम्हें स्नेह प्यार आशीर्वाद। स्नेह सहित === कैलाश अंकल।

— दिलीप भाटिया

*दिलीप भाटिया

जन्म 26 दिसम्बर 1947 इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और डिग्री, 38 वर्ष परमाणु ऊर्जा विभाग में सेवा, अवकाश प्राप्त वैज्ञानिक अधिकारी