नीले परिंदे और….
उर्दू उपन्यासकार
इब्ने सफी ने
साथ के दशक में
उपन्यास ‘नीले परिन्दे’ लिखा,
जो कि उसी दशक में
प्रकाशित हुई थी ।
सन 2009 में
हार्परकॉलिंस
पब्लिशर्स इंडिया ने
हिंदी में
यह उपन्यास छापी ।
इस उपन्यास में
तब ही
उन्होंने
उन लोगों का
पर्दाफ़ाश किया है,
जो जहरीले वायरस की
ईज़ाद करते हैं
तथा लोगों को
इनसे मारते हैं ।
‘कोरोना’ जैसे
हिंसक वायरस की
उत्पत्ति ‘नई’ नहीं है !
घर पर
उपन्यास
और विविध कहानियाँ
पढ़ने में जुट गया हूँ !
××××
भारत के इतिहास में
बलदियाबाड़ी का युद्ध
कटिहार जिला में अगर
नवाब शौक़तजंग
खेत नहीं होते,
तो देश
अंग्रेजों का कभी
गुलाम न होते !
अभी दूसरे की गली में
कुत्ता ‘शेर’ है !
गली, मोहल्ले,
चौक, चौराहों पर
मनुष्य नहीं,
कुत्ते घूम रहे;
कोरोना से
मुकाबला
वे ही कर रहे !