समाधान बनकर दिखलाओ
समस्याओं से, तुम कभी न भागो, सोचो, समझो और गले लगाओ।
किसी से, किसी की, करो न शिकायत, समाधान बनकर दिखलाओ।।
रोते हुए को, कोई न देखे।
सबके अपने-अपने लेखे।
समय की शिकायत करते हैं जो,
करते रहते, वही परेखे।
बातों से, कभी, काम न होते, चलो, चलो और चलते जाओ।
किसी से, किसी की, करो न शिकायत, समाधान बनकर दिखलाओ।।
उसकी, उससे बातें करते।
समय नष्ट कर, क्यों हो मरते?
अपने आप से, बातें करके,
सिद्ध करो, तुम, नहीं हो डरते।
लीकों पर चल, कहाँ पहुँचोगे? तुम बाधाओं से, राह बनाओ।
किसी से, किसी की, करो न शिकायत, समाधान बनकर दिखलाओ।।
विकास के पथ, तुम चलते जाओ।
कहते हो जो, कर दिखलाओ।
डर ही, शिकायत, इसकी, उसकी,
कर्म से, डर को, दूर भगाओ।
खुद पर, तुम विश्वास करो, फिर, शिखरों पर, तुम चढ़ते जाओ।
किसी से, किसी की, करो न शिकायत, समाधान बनकर दिखलाओ।।
कर्म के पथिक को, कोई न पराया।
निराशा को, पल-पल, ठुकराया।
कमियों को, वो, नहीं खोजते,
जिनने खुद को खुद ही बनाया।
मरने की मन, बात करो ना, अकेले रहो, सबको अपनाओ।
किसी से किसी की करो न शिकायत, समाधान बनकर दिखलाओ।।