कविता

कहाँ है होली

होली की सुबह सुबह
भाभीजी ने
सोते हुए ही मुझे रंग डाला,
मैं तिलमिलाया
थोड़ा झल्लाया,
पर बोल नहीं पाया।
उससे पहले ही भाभी ने फरमाया,
बुरा न मानो होली है
रंग बिरंगी होली है।
मैं भी कुढ़कर बोला
कहाँ है होली?
आपकी बहन तो
अभी तक कहाँ बोली?
कि आज होली है।
फिर कैसे बुरा न मानूं?
या कैसे मान लूँ होली है?
वो भी रंग बिरंगी होली है?

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921