कविता

कविता

आज मिलने चले झोपड़ी से महल।
आज खिलने चले कीचड़ों में कमल।।
आई समभाव की इक सुहानी हवा।
थोड़ी माँ की दुआ,थोड़ी दर्दे – दवा।।

आज सूरज भी निकलेगा समभाव से।
माथ फिर से उठेगा त्वरित ताव से।।
स्वेद-सरवर से सरिता बहेगी धवल।
भूख की ज्यामिती होगी सीधी-सरल।।

अब पिघलने लगीं पाँव की बेड़ियाँ।
अब चहकने लगीं औरतें – बेटियाँ।।
सौम्य के सँग मिलावट हुई साम्य की।
छाईं खुशियाँ अवध शान्ति धन-धान्य की।।

— डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन