बालगीत – चीनी से अच्छा गुड़ खाना
चीनी से अच्छा गुड़ खाना।
रोगों का घर चीनी माना।।
प्रकृति ने दी हमें मिठाई।
गाढ़ी भूरी हमने खाई।।
उदर – रोग सब दूर भगाना।
चीनी से अच्छा गुड़ खाना।।
हड्डी को मजबूत बनाता।
रक्त – चाप का दोष हटाता।।
कमी रक्त की पूर्ण मिटाना।
चीनी से अच्छा गुड़ खाना।।
भोजन को भरपूर पचाता।
स्वर में सदा मधुरता लाता।।
जोड़ों के सब दर्द हटाना।
चीनी से अच्छा गुड़ खाना।।
करता है गुड़ त्वचा सफ़ाई।
शेष न रहें मुँहासे भाई।।
ऊर्जा – स्तर सदा बढ़ाना।
चीनी से अच्छा गुड़ खाना।।
देह – थकान दूर गुड़ करता।
सर्दी और ज़ुकाम सुधरता।।
तन को सक्रिय सुदृढ़ बनाना।
चीनी से अच्छा गुड़ खाना।।
नेत्र दिमाग़ सभी सुख पाते।
जोड़ों के भी दर्द नसाते।।
सेहत का गुड़ ‘शुभं’ खज़ाना।
चीनी से अच्छा गुड़ खाना।।
— डॉ. भगवत स्वरूप ‘शुभम’
इंगलैंड में रहते भी हम हमेशा चाय में गुड़ का इस्तेमाल ही करते हैं . कभी कभी घी शक्कर की आदत भी है .रोटी के बाद थोढ़ा सा गुड खाने की आदत भी है .आप की कविता से मैं सहमत हूँ क्योंकि चीनी बनाने की प्रिक्रिया में बहुत से कैमिक्ल्ज़ पढ़ते हैं .