कविता

माँ बापर बेकार संतान !

आजकल तो
सभी कष्ट में है,
कोई कम,
कोई ज्यादा !
जब कोई कष्ट में होते हैं,
परिवार और मित्र नहीं,
सबसे पहले
अपना विवेक ही
काम आते…
××××
कुछ डिग्री….
एमबीबीएस
यानी माँ बापर बेकार संतान,
एमबीए
यानी मेहमान बिन-बुलाए आए,
पीएचडी
यानी फटा हुआ ढोल,
एमफिल यानी महफ़िल !
××××
लोकसभा चुनाव में
किसी पार्टी ने
साहित्यकारों को
टिकट नहीं दिए,
एक ‘निशंक’ को छोड़कर!
और कहेंगे-
साहित्य ‘समाज’ का दर्पण है!
××××
क्रिमिनल
यानी गुंडे,
मवाली,
झपटमारों,
बदमाश,
उचक्के इत्यादि के
पास की भीड़
उनकी लोकप्रियता का
सूचक नहीं,
अपितु उनसे
भय रखने के कारण है!
××××

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.