गीत/नवगीत

नारी ने भरमाया है

प्रकृति सृष्टि का गूढ़ तत्व है, समझ न कोई पाया है।
नर क्या समझे,  नारायण को,  नारी ने भरमाया है।।

नर, सागर की, गहराई नापे।
मौसम की कठिनाई भी भाँपे।
आसमान में उड़ता है नर,
इससे देखो, पर्वत काँपे।
नारी की मुस्कान ने जीता, प्रकृति की कैसी माया है।
नर क्या समझे,  नारायण को,  नारी ने भरमाया है।।

वेद ज्ञान से, भरे पड़े हैं।
कुरान और हदीस लड़े हैं।
नारी प्रेम की चाह में ये नर,
बुद्धिहीन से, पीछे खड़ें हैं।
सिद्धांत गढ़ो, कुछ भी कह लो, नर नारी का साया है।
नर क्या समझे,  नारायण को,  नारी ने भरमाया है।।

उपदेश नहीं, कुछ कर दिखलाओ।
चाहो नहीं, बस प्यार लुटाओ।
सबको मुफ्त की सीख हो देते,
चलकर उन पर, खुद दिखलाओ।
छल, कपट, धोखे में फंसाकर, गान मिलन का गाया है।
नर क्या समझे,  नारायण को,  नारी ने भरमाया है।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)