बाल गीत – गुड़िया
छम छम करती गुड़िया आई
रुन झुन रुन झुन बड़ी सुहाई
आँखों में काजल है आँजा
पीने को मांगे वह माजा
जब ना दें तो करेगी शोर
कहे बस ये दिल मांगे मोर
पढ़ना लिखना नहीं सुहाता
दौड़ धूप है इनको भाता
खुलेंगे जाने कब स्कूल
क्या जाने किसकी थी भूल
सोते से अब तो जग जाओ
तुम जड़ से चेतन हो जाओ
वरना होगी खूब तबाही
किस रस्ते के होंगे राही
— पूर्णिमा पटेल