संस्मरण

प्रथम हिमालय विजेता !

“एवरेस्ट पर पहला कदम भारतीय ‘तेनसिंह’ का पड़ा था, हिलेरी का नहीं  -2003 ई0 में कादम्बिनी में छपा मेरा खोजपरक आलेख में है ऐसी जानकारी, तब हिलेरी झुँझला पड़े थे।”

तीन पृष्ठों के दस्तावेज़ ‘एवरेस्ट पर सबसे पहले पहुँचनेवाला एक भारतीय था’ मेरा शोधालेख है, ‘कादम्बिनी’ के दिसंबर-2003 अंक में छपा था। इसे पढ़कर हरकोई तब चकित थे, अब भी होंगे ! मैंने कई सन्दर्भ जुटाए हैं और कई वर्षों तक का काफी मेहनत कर तथ्य निचोड़ कर प्रस्तुत किया है।

पत्रिका ‘कादम्बिनी ‘ की राय थी-….लेखक सदानंद पाल का कहना है कि तेनज़िंग (तेनसिंह) भारतीय थे और हिमालय के शिखर पर सबसे पहले कदम उन्हीं के पड़े थे। …..दार्जिलिंग में जन्में तेनजिंग का वास्तविक नाम तेनसिंह है। वे गोरखा भारतीय थे, नेपाली नहीं। नामोच्चारण ‘अपभ्रंश’ रूप में है। इतना ही नहीं, उनकी आत्मकथा ‘टाइगर ऑफ़ द स्नोज’ को उनके पुत्र ने लिखा था। शेरपा का  मतलब नौकर होता है और यह सच है, वे एडमंड हिलेरी के नौकर के रूप में उनका सामान लेकर उनके साथ गए थे । इस आलेख के प्रकाशन पर सिर्फ भारत और नेपाल से ही नहीं, पूरी दुनिया भर से प्रतिक्रिया आयी थीं।

हिंदी आलेख के बावज़ूद अंग्रेज हिलेरी ( जो भारत में न्यूजीलैंड के उच्चायुक्त रहने के क्रम में हिंदी सीख गए थे ) का भी आलेख छपने के तीसरे साल क्रूर प्रतिक्रिया आई थी, जो कि हिंदी साप्ताहिक ‘आउटलुक’ में इंटरव्यू के रूप में प्रकाशित हुई थी। इंटरव्यूकर्त्ता ने सर हिलेरी से जब यह पूछा कि ‘आपके और तेनजिंग में एवरेस्ट पर पहले कौन पहुँचा-इस बात को लेकर विवाद क्यों है।’

इस पर उनका जवाब था– कारण शायद राजनीतिक और क्षेत्रीय है, काठमांडू वाले ऐसा सोचते हैं …. हमदोनों एकसाथ एवरेस्ट पर पहुँचे थे । इस बात पर हमदोनों सहमत थे । तेनजिंग के मौत के बाद मैंने सच बताने का फैसला किया कि मैं तेनजिंग से कुछ कदम आगे था, परंतु यह कहना कि मैं उनसे पहले एवरेस्ट पर पहुँचा, कहना कठिन है  और  इसी अंक में यह भी उद्धृत है, एवरेस्ट पर तेनजिंग का फ़ोटो हिलेरी ने खींचा और अपना फ़ोटो खींचना भूल गया।’

…….परंतु एवरेस्ट पर पहुंचा हिलेरी का फ़ोटो नहीं है, यह भी एक अर्थ है कि नीचे से ऊंचाई पर का फ़ोटो खींचा जाता है और तब तेनसिंह नोर्के (तेनजिंग नोर्गे ) ने नीचे ठहरा हिलेरी को खींचकर गले लगा लिया । तेनसिंह को दिए बड़ा अवार्ड से भी बड़ा अवार्ड ‘पद्म विभूषण’ भारत सरकार ने हिलेरी को मरणोपरांत दिया । अट्ठासी वर्ष की आयु में  हिलेरी का निधन 11 जनवरी 2008 को वेलिंगटन में हो गया।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.