कविता

कविता

नसीब वालों का इश्क मुक्कमल होता है।

आसमां ज़मीं से कभी मिल नहीं पाता है।।
नदी का समन्दर में मिलना संभव होता है।
समन्दर का नदी में आकर समाना
संभव नहीं होता है।।
आंधी गरीबों का छप्पर उड़ा ले जाता है।
अमीरों के महराज को खरोंच भी नहीं आता है।।
दो रोटी चुराने वाला चोर कहा जाता है।
सफेद कालर वाला घोटाले करने पर भी बच जाता है।
साहिल की ओर जब लहरों का टकराना होता है।
लहरों से साहिल को प्रगाढ़ प्रेम हो जाता है।।
तकदीर की बात है कोई चांदी का
चम्मच लिए पैदा होता है।
कोई शहर के नाले या गटर में फेंका जाता है।
ये दुनिया रंग-रंगीली है, कौन किस रंग में रंगता है।
सृष्टिकर्ता ही इस बात को समझ पाता है।।
— मंजु लता

डॉ. मंजु लता Noida

मैं इलाहाबाद में रहती हूं।मेरी शिक्षा पटना विश्वविद्यालय से तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई है। इतिहास, समाजशास्त्र,एवं शिक्षा शास्त्र में परास्नातक और शिक्षा शास्त्र में डाक्ट्रेट भी किया है।कुछ वर्षों तक डिग्री कालेजों में अध्यापन भी किया। साहित्य में रूचि हमेशा से रही है। प्रारम्भिक वर्षों में काशवाणी,पटना से कहानी बोला करती थी ।छिट फुट, यदा कदा मैगज़ीन में कहानी प्रकाशित होती रही। काफी समय गुजर गया।बीच में लेखन कार्य अवरूद्ध रहा।इन दिनों मैं विभिन्न सामाजिक- साहित्यिक समूहों से जुड़ी हूं। मनरभ एन.जी.ओ. इलाहाबाद की अध्यक्षा हूं। मालवीय रोड, जार्ज टाऊन प्रयागराज आजकल नोयडा में रहती हैं।