दोहे : नारी-महिमा
नारी सच में धैर्य है,लिये त्याग का सार !
प्रेम-नेह का दीप ले, हर लेती अँधियार !!
पीड़ा,ग़म में भी रखे,अधरों पर मुस्कान !
इसीलिये तो नार है,आन,बान औ’ शान !!
नारी तो है श्रेष्ठ नित ,हैं ऊँचे आयाम !
इसीलिये उसको “शरद”, बारम्बार प्रणाम !!
नारी ने नर को जना,इसीलिये वह ख़ास !
नारी पर भगवान भी,करता है विश्वास !!
नारी से ही धर्म हैं,नारी से अध्यात्म !
नारी से ही देव हैं,नारी से परमात्म !!
नारी से उपवन सजे,नारी है सिंगार !
नारी गुण की खान है,नारी है उपकार !!
नारी शोभा विश्व की,नारी है आलोक !
नारी से ही हर्ष है,बिन नारी है शोक !!
नारी फर्ज़ों से सजी,नारी सचमुच वीर !
साहस,कर्मठता लिये,नारी हरदम धीर !!
जननी की हो धूप या,भगिनी की हो छांव !
नारी ने हर रूप में,महकाया है गांव !!
नारी की हो वंदना,निशिदिन स्तुति गान !
नारीके सम्मान से,ही है नित उत्थान !!
— प्रो.(डॉ) शरद नारायण खरे