कठिन परिस्थितियों में
संत महावीर जैन
अगर आज रहते,
तो यही कहते-
सुरक्षित और संयमित
दिनचर्या में रहकर….
क्योंकि महामारी से
निजात पाने के लिए
घर पर भी
प्रियजनों,
परिजनों से भी
दूरी रखिये,
यह साँस संबंधी-
थूक, लार, छींक,
खाँसी लिए
सामान्य अभिलक्षण से ही
महामारी की तरफ बढ़ती है,
क्योंकि घर से
या घर पर
कोई न कोई
आ ही जाते हैं,
जैसे- दूधवाले आदि,
राशन लाने घरवाले
आते-जाते हैं,
क्यों ?
वे सत्य, अहिंसा के
प्रतिमूर्त्ति थे,
गांधीजी भी
ये सदुपदेश
इन्हीं से ग्रहण किये थे….
यानी-
हमें
कठिन परिस्थितियों में भी
घबराना नहीं चाहिए !