भट्टी
सफ़ल कौन नहीं होना चाहता,
इसकी कोशिश कौन है करता,
कितनी कोशिश करते है ,
उतनी जितनी थका देती ,
इससे सिर्फ थोड़ा रास्ता दिखता है ,
सफलता के लिए तो ,
रात को दिन ,दिन को दिन,
समझना होता है
सफलता के लिए खुद को ,
मेहनत की भट्टी में झोंकना है ,
जैसे सोना तपता है
तभी तो सोना ढलता है ,
उसके असली रूप में ,
खुद से प्यार करो और,
तपाओ खुद को उसी भट्टी में ,
जिसका नाम मेहनत है ।।।
डॉ सारिका औदिच्य