कविता

भट्टी

सफ़ल कौन नहीं होना चाहता,
इसकी कोशिश कौन है करता,
कितनी कोशिश करते है ,
उतनी जितनी थका देती ,
इससे सिर्फ थोड़ा रास्ता दिखता है ,
सफलता के लिए तो ,
रात को दिन ,दिन को दिन,
समझना होता है
सफलता के लिए खुद को ,
मेहनत की भट्टी में झोंकना है ,
जैसे सोना तपता है
तभी तो सोना ढलता है ,
उसके असली रूप में ,
खुद से प्यार करो और,
तपाओ खुद को उसी भट्टी में ,
जिसका नाम मेहनत है ।।।

डॉ सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।