असली गाँधी
जब असली
‘गाँधी’ ने
कह ही दिया है
कि
‘मेरा जीवन ही
मेरा संदेश है’
तो
‘नकली’ गाँधी के पीछे
भाग-दौड़ क्यों ?
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सरकार
‘नियोजित शिक्षकों’ को
वेतन न देकर
खुद के वेतन को
बचाए रखने की
तिकड़म अपनाए हैं;
शर्म है,
मंत्री वेतन ले रहे हैं !
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‘विधायक निधि’ की
तरह
‘सांसद निधि’ को भी
खत्म कर देना चाहिए !
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घर पर
आर्थिक कड़की है….
गरीब था,
गरीब हूँ,
गरीब रहूँगा….
अबतक
‘खाना’ नहीं
बन पाई है !