गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

गणतंत्र का उत्सव आया, ह्रदय में आशनाई हो ,
जात-पात, ऊंच-नीच का विष, ख़त्म तमाम बुराई हो |
निष्पक्ष साफ़ राजनीति हो, चुनो न स्वार्थी नेता को
जनता हित की बात करे, पर खून चूषण कसाई हो |
आज़ाद देश में आज़ादी, सब इसके अधिकारी हैं,
अमीर हो या गरीब हो, अब मुनसिब सब सुनवाई हो |
बिकास का लाभ सबको मिले, नेता ही सब ना खाए,
नेता जो है भ्रष्टाचारी, सब भ्रष्ट की खिंचाई हो |
संविधान की रक्षा करना, परमधर्म हो हम सबका,
हरेक व्यक्ति भारत देश का, इस मंत्र की इकाई हो |
संविधान गीता कुरान है, इसको रखना माथे पर,
इसकी बाते, शिक्षा- दीक्षा, सबके दिल में छाई हो |
अमीर गरीब का भेद-भाव, जड़ से हमें मिटाना है,
जनता नेता मिलकर करना, नीयत फ़क्त सचाई हो |

कालीपद ‘प्रसाद’
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*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !