गीत/नवगीत

प्रणय वर्तिका जलती है

मुझे पता था तू है मेरा
       तुझसे साँसें चलती है।
इन दो नैनों के दीपों में
       प्रणय वर्तिका जलती है।
सन्ध्या से ले भोर तलक मैं
               पंथ निहारूँ तेरा ही ।
पारिजात के पुष्प झरें जब
              नाम पुकारूँ तेरा ही।
नेह सीप का ,मोती पावन
          स्वाति सुधा- सम झरती है।
इन दो नैनो के दीपों में
            प्रणय वर्तिका जलती है।
महा काव्य सा प्रेम हमारा
        मुक्तक -मुक्तक जीवन है।
प्राणों की बन्शी नित बजती
             गीतों  में गीतायन है।
प्रीत मिलन की सुधि मनभावन
               विरह वेदना ढलती है।
इन दो नैनों के दीपों में
              प्रणय वर्तिका जलती है।
 माथे की बिंदिया -सम दिनकर
               वातायन से मुसकाये ।
नयन विहाग भरे जब बेसुध
              कुंतल ,किरणें छू जाये ।
 प्रेम रंग से रँग दे दुनिया,
               रात अँधेरी छलती है।
इन दो नैनों के दीपों में
            प्रणय वर्तिका जलती है।
— रागिनी स्वर्णकार शर्मा

रागिनी स्वर्णकार (शर्मा)

1- रचनाकार का पूरा नाम- श्रीमती रागिनी स्वर्णकार (शर्मा) 2- पिता का नाम-श्री पूरन चंद सोनी 3- माता का नाम -श्रीमती पार्वती 4- पति / पत्नी का नाम- श्री अरुण शर्मा 5- वर्तमान/स्थायी पता -डायमंड रेजीडेंसी, a सेक्टर सिलिकॉन सिटी राऊ ,इंदौर ,जिला-इंदौर मध्यप्रदेश 6- फोन नं/वाट्स एप नं. - 9754835741 7- जन्म / जन्म स्थान-बेगमगंज ,जिला- रायसेन जन्मतिथि 01,/05/1970 8- शिक्षा /व्यवसाय- बी.एस-सी.,एम .ए.(हिंदी,इंग्लिश) एम.एड. 9- प्रकाशित रचनाओं की संख्या-- 300 रचनाएँ प्रकाशित 10- प्रकाशित रचनाओं का विवरण । (लगभग 300 रचनाएँ समाचार पत्र ,संचार एक्सप्रेस ,निशात टाईम्स ,रीडर एक्सप्रेस भोपाल, लोकजंग भोपाल,दैनिक भास्कर भोपाल,देशबन्धु भोपाल ,से प्रकाशित हो चुकी हैं ) संकल्प शालेय पत्रिका का 7 वर्ष से सम्पादन