शुभो नबो बरसो
बांग्ला नववर्ष की शुभमंगलकामनायें…. बंग संस्कृति में साल के अंतिम चैत्र ‘संक्रांति’ के बाद 15 अप्रैल को वैशाख माह आरम्भ है और इस अनुसार से वैशाख ही साल का प्रथम माह है, आज पहला दिन है।
हमारा गाँव है तो बिहार में, किन्तु ‘बांग्ला – कीर्त्तन’ का यहाँ प्रभाव है । आज नववर्ष का प्रथम दिन कीर्त्तन – मंडली ‘बांग्ला गान’ कर नववर्ष के प्रथम दिवस का सामूहिक उत्साहवर्धन करते हैं।
हमारे गाँव में अतिसम्मानित सत्संगी और शिक्षक प्रातःस्मरणीय (स्व0) बाबूलाल सिंह इस संकीर्त्तन के प्रणेता रहे हैं, जिनमें कई सदस्य थे, जो कि नदिया (प0 बंगाल) से चैतन्य महाप्रभु के कीर्त्तन सीखकर आये थे ! अब नए सदस्य हैं, वो भी कई गुटों में !
कई प्रसंग यथासाध्य है–
“शुभो नबो बरसो !
पोइला बैशाख !
बांग्ला संकीर्त्तन
और माँ के द्वारा
शंख बाजन !
शंख बाजे,
बलाय भागे !
बाबा विश्वनाथ
राउत
यानी बिशू अहीर की
पूजा-अर्चना पर
सादर नमन !
शुभो नबो बरसो !
बांग्ला नववर्ष पर
सभी मित्रों को
शुभमंगलकामनाएँ !
बांग्ला नववर्ष के
पुनीत अवसर पर
सभी को
शुभमंगलकामनायें !”