दुनियां है फ़ानी
मालूम है दुनियां है फानी
आनी और जानी
फिर भी डरता है यह मन
इसीलिए तो कैद है
न होता जो यह डर
घूम रहा होता
आजाद परिंदा बन
आजादी पे रोक है
दिल में भय है
मालूम है दुनियां है फ़ानी
दो चार दिन की है ज़िंदगानी
मालूम है दुनियां है फानी
आनी और जानी
फिर भी डरता है यह मन
इसीलिए तो कैद है
न होता जो यह डर
घूम रहा होता
आजाद परिंदा बन
आजादी पे रोक है
दिल में भय है
मालूम है दुनियां है फ़ानी
दो चार दिन की है ज़िंदगानी