अनुत्तरित अंतर्द्वंद्व !
भूदाता के नाम हटाकर इसतरह के नामकरण उचित नहीं है! महान शहीद और उनके परिवार को सादर नमन करते हुए ‘उच्च विद्यालय, मिर्जापुर-बघार’ का नामकरण उनके नाम से हो, तो श्रेयस्कर होगा! क्या ‘रामेश्वर यादव मनिहारी महाविद्यालय’ पर भूदाता मानेंगे? सादर नमन!
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महात्मा गाँधी सदैव ‘प्रासंगिक’ है, किन्तु इसका मतलब यह नहीं है कि अन्य महापुरुष ‘अप्रासंगिक’ है !
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टा-टा…. बाय-बाय…. इलाहाबाद! वेलकम “प्रयागराज”!!
इसीतरह बिहार में ‘बख़्तियारपुर’ रेलवे स्टेशन का नाम एक लूटेरे के नाम पर है, इसे बदल डालिये, मोहे रेलवे राजा!
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आप तो जानते हैं, मेरे भाई ! मैं तथ्य को उघाड़ता हूँ । वैसे जब माननीय भी जब उन्हें हर मामले में क्लीन-चिट दिया है । फिर वह देश की अखंडता व अक्षुण्णता की बात करते हैं । तो मैं एकपक्षीय ही क्यों हो चलूँ ?
जबकि हम लेखक बिरादरी किसी के पक्षीय नहीं हैं !