दुधमुंहे गुरु
डेढ़ माह का
दुधमुंहा ‘गुरु’,
जिनकी माँ
किसी और के साथ
भाग गई !
लॉकडाउन के कारण
घर पर
अभी कोई मेम्बर
दूध का सेवन
नहीं कर रहे,
लेकिन मेरी माँ
उनकी भी माँ बन
उनके लिए रोज
एक पाव दूध
खरीद रही हैं !
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कोरोना के बहाने
हाथ मिलाने
और गले मिलने की
प्रथा
खत्म हो गयी !
परंतु पैर (चरण)
छूने की प्रथा
कब खत्म होगी ?
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“अंतरिक्ष को समझना
आसान है,
किन्तु महिलाओं को नहीं !”
स्टीफ़न हॉकिंग कहिन।
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प्राय: महिलाएँ
‘कंजूस’ होती हैं,
चाहे वो
मेरी माँ या बहन ही
क्यों न हो ?
××××
गत साल
एक शिक्षिका
अपनी कुँवारी शिष्या को
उपदेश बांच रही थी-
“कुत्ते पाल लो,
किन्तु बॉयफ्रेंड
भूल से भी
नहीं पालना !”