कविता

/ मानवता के जग में …./

भक्त नहीं बनूँगा मैं
किसी का और
स्वीकार नहीं करूँगा
कुटिल तंत्र के स्वामित्व का
अंध परंपरा का अनुकरण
अमानवीय तत्वों का समर्थन
मैं कभी नहीं करूँगा
मेरी अपनी कार्यशाला है
इस मस्तिष्क में
विचार, तर्क करता हूँ,
चलाता हूँ मैं
अपनी बुद्धि को
सत्य – तथ्य का
नीर – क्षीर विवेचन जो
मैं भी लेता हूँ
जिस बुनियाद पर मैं
खड़ा हूँ, देखता हूँ दुनिया को
अपने चक्षु से
उनके प्रति श्रद्धा अवश्य
मैं अपने दिल से लगाता हूँ
उस गुरू परंपरा को
वंदना करता हूँ विनम्रता से
विश्व कल्याण की आशय साधना में
अपने को अहर्निश समर्पित हुए हैं
समता, भाईचारा, स्वतंत्रता के पक्ष में
वाणी बनकर मैं भी
मानव की बात करता हूँ।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।