*शीर्षक – शक्तिप्रवृत्ति*
अर्जन सर्जन भाव से, मेघ करें उद्घोष।
जगजननी भयहारिणी, शुभ मंगल जयघोष ।
आदिशक्ति वरदायिनी, महिमा अपरम्पार ।
भक्ति भाव अर्पण करें, नमन करो स्वीकार।
आदि शक्ति जगवंदिता, प्रथम आविभूर्त ।
शैलपुत्री आराधिता, नवोन्मेष नवरूप।
ब्रह्मचारिणी उद्धवा,हरती जग के क्लेश ।
आदिशक्ति वरदायिनी , नाशे विघ्न विशेष।।
महिसासुर संहारणी ,विध्वंसक श्रृंगार।
चंद्रघंट वरदा शुभा, दिवस तीन अवतार ।।
शशिघंटा भयहारिणी, सिंहवाहिनी रूप।
वरद हस्त रखना सदा, हर्षित हिय अनुरूप।।
आदिशक्ति यशदायिनी, रवि मुख सम अलोक।
देवी कुष्मांडा प्रिया,चतुर्दिवस संयोग।।
कमल हस्त सिंहासना, त्रिपुर सुंदरी गात।
स्कंदमाता सर्वप्रिया, पंचम पुण्य प्रभात।।
ताम्रम्भोज निवासिनी, आरूढा शार्दुल।
देवी कात्यायनी नमन ,कर शोभित त्रिशूल।।
— डॉ.सारिका ठाकुर “जागृति”