कविता

कविता

जीवन को घेरती हमेशा बारहमासी चिंताएं

तन मन धन की चिंता तो साथ चलती

अब पर वायरस करोना कर दिया मिथ्याए

अपनी मांगो को सुनते सब चीखते दरबदर

हर समय रहती पहाड़ सी बन हासी व्यथाए.

बात– बात पर लोग न जाने क्यों रूठने पर

छोटी छोटी मुसीबतों से हारकर टूटने कथाए .

क्या खुदा पर से अब विश्वास हट गया है ?

या फिर हम खुद को पहचानना भूल मिथाए.

कभी सोंचता कि अबूझ पहेली क्यों ज़िन्दगी

कभी इस बुद्धू मन को उम्मीदों से भर कथाएँ .

पल पल में खिलती मिलती लडती सी बंदगी

जीवन को घेरती हमेशा बारहमासी चिंताएं

-– रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]