बहुत जल्दी कर दी हुजूर आते-आते
बहुत जल्दी कर दी हुजूर आते आते
अब यमदूतों का पारा सातवें आसमान पर था।बोले-” हमारे पास बहुत काम है।एक अकेले तुम ही नहीं हो।ढ़ेर सारी आत्माओं को लेकर धर्मराज के दरबार में जमा करवाना है।आखिर कब तक इंतजार करें।”
“हुजूर थोड़ा इंतजार कर लीजिए।वैसे भी आप तो जानते ही हैं कि मेरा नम्बर अभी आया ही नहीं था,जबरन इस कोरोना ने लपेट दिया और फिर मेरे जैसे कई हैं यहाँ।हालांकि मेरी साँसे उखड़ रही है।।डॉक्टर कह रहे हैं कि फेफड़े पूरी तरह से संक्रमित हो चुके हैं। मेरी तरह कोविड वार्ड में कितने ही लोग पड़े हुए हैं।उनकी भी साँस उखड़ रही है।आखिर कितने लोगों को एक साथ लेकर जाओगे।मुझे मालूम है कि इस बार आप किसी का डेथ वारंट लेकर भी नहीं निकले हैं। आपको ऊपर से ही निर्देश मिले हुए हैं कि जो भी लापरवाह मिले उठा लाओ।”कहते हुए मेरी निगाह वार्ड में तड़पते हुए लोगों पर बार-बार जा रही थी।कई लोग हिचकियाँ ले रहे थे।साथ वाले अटेंडरों की साँस ऊपर नीचे हो रही थी और साथी मरीजों की अंदर-बाहर।सभी घबरा रहे थे।
” गलती तुम लोग करो और सिरदर्द हमारा। मॉस्क लगाते और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते तो यह नौबत नहीं आती।तुम लोगों ने हालात ऐसे पैदा कर दिए हैं कि हमें चौबीस घंटे काम करना पड़ रहा है। जरा भी आराम नहीं,अब तो पूरी तरह से थक गए हैं भाई। अब नाटक-नौटंकी छोड़ो और जल्दी चलने के लिए तैयार हो जाओ। वरना…।”यमदूत ने अपना गुस्सा प्रकट किया।
“यमदूत साहब,थोड़ा इंतजार और कर लीजिए।हो सकता है कि हममें से कई को ले जाने की जरूरत ही न पड़े और हम हमारे लिए आवंटित साँसे पूरी कर सकें।”
“अभी कौन सा चमत्कार हो जाएगा जो तुम लोगों के प्राण पखेरू नहीं उड़ेंगे!”
“देखिए,अभी वैसे भी यमलोक फुल हो गया होगा।वहाँ भी श्मशान और कब्रिस्तान जैसी जगह नहीं बची होगी। यहाँ भी बीमारों और मौतों का हिसाब नहीं रख पा रहे हैं।वहाँ चित्रगुप्त जी खुद भी थक गए होंगे मृत आत्माओं का हिसाब बताते-बताते।आप लोगों को हुई असुविधा के लिए अपनी और सरकार की ओर से हम माफ़ी मांगते हैं।बस थोड़ा सा वेट कर लीजिए श्रीमान।बस ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन पहुँचने ही वाले होंगे।”
“क्यों बरगला रहे हो हमें।या तो तुम गलतफहमी में हो या तुम्हें वास्तविकता का भान नहीं है।”
“नहीं-नहीं ,हमें सरकार की ओर से भरोसा दिलाया गया है कि पास-पड़ोस से,अन्य राज्यों से ऑक्सीजन बुलवाई जा रही है।खाली सिलेंडर भरने के लिए भेज दिए गए हैं।अन्य राज्यों में टैंकर भी भेजे जा चुके हैं।यहाँ तक कि नये ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने की भी घोषणा हो गई है।अब और क्या चाहिए! उम्मीद पर जब दुनिया कायम रह सकती है तो हमारी साँसें क्यों नहीं!आपको तो यह भी मालूम होगा कि कुछ टैंकर आ भी गए हैं।उनका स्वागत और पूजन करने नेताजी और बड़े साहब लोग भी गए हुए हैं।तब क्या दो-चार घंटे की मोहलत भी आप नहीं दे सकते यमदूत महोदय।”
“अरे हम जानते हैं तुम्हारे शासन-प्रशासन की स्थिति।बस तुम इंतजार करते रहो ऑक्सीजन सिलेंडर का। मेरे कानों तक भी यह बात पहुँची थी।कोई कह रहा था कि आसपास के शहरों में पता करवाया जा रहा है तो कोई कह रहा था कि पड़ोसी राज्यों से बात हो गई है और शीघ्र ही वहाँ टैंकर भेजकर ऑक्सीजन बुलवा ली जाएगी।किसी ने तो यह भी बताया कि बस टैंकर आ पहुँचा है ,नेताजी टैंकर का स्वागत करेंगे अपने हुजूम के साथ और पण्डित को बुलवाकर उसकी पूजा करेंगे।फिर तत्काल तुम लोगों तक ऑक्सीजन पहुँचाई जाएगी । तब मैं पसीज गया था लेकिन तुम्हारे यहाँ काम ठीक वैसे होते हैं जैसे कभी-कभी पानी सिर से गुजर जाता है और खबर भी नहीं होती। पानी शायद इसी कारण सिर से गुजर जाता होगा कि तुम्हें उम्मीद रहती होगी कि पानी उतर जाएगा और वह है कि चढ़ता ही जाता है और एक स्थिति यह बनती है कि पानी सिर से गुजर जाता है। कुछ अच्छे की उम्मीद में बुरा दौर आ जाता है।इसलिए अब ज्यादा बहस मत करो और चलने के लिए तैयार हो जाओ।यहाँ के नर्क से तो अच्छा है कि वहीं चलकर अपना हिसाब पूरा कर लो।”
“नहीं, मैं अभी नहीं जाना चाहता।मुझे छोड़ दो,मुझे छोड़ दो! आपने भी बहुत जल्दी कर दी हुजूर आते आते।”और हाथ-पैर पटक ही रहा था कि श्रीमती द्वारा जोर से झंझोड़ने पर इधर मेरी नींद खुल गई।