बोलना है
माना कि बोलना
अच्छा है परंतु
कम बोलना
जाँच परखकर
सोच समझकर
नाप तौल कर
जरुरत भर ही बोलना
बहुत अच्छा है,
जितने भर से
काम चल जाये
सिर्फ़ उतना ही बोलना
सबसे अच्छा है।
बोलने के बोलना
कमजोरी है,
शेखी बघारने के लिए बोलना
नादानी है,
संयम से संतुलित बोल
सभ्यता की निशानी है।
आपकी बोली
आपकी पहचान
बता ही देती है,
आपको खुद सोचना है
आपकी बोली क्या कहती है।
बिचारिए कि आपको
तोल मोल बोलना है,
शब्दों की जादूगरी में
नहीं उलझना है।