जिम्मेदारी
लोग मर रहे हैं
सांस-सांस के लिए तड़प रहे हैं
चहुंओर भयावह मंजर है ।
जरा एक नजर तो घुमाओ हॉस्पिटल की ओर
आत्मा चीत्कार करने लगेगी ।
अपनों की परवाह में तिल-तिल मरते अपने…
क्या गरीब ? क्या अमीर ?
सबको करोना महामारी मौत के मुंह में धकेलती जा रही है ।
जिम्मेदार लोग
जिम्मेदारी भूल
मस्त हैं अपने बड़े -बड़े महलों में,
नेता हो, अभिनेता हो, खिलाड़ी हो, धर्मगुरु हो, पूंजीपति हो,
सबके सब मौन हैं ।
उन्हें समाज, देश से कोई लेना-देना नहीं
भूल चुके हैं अपना कर्तव्य…
भला अपने देश के नागरिकों की कौन परवाह नहीं करता
नागरिकों से ही देश बनता है
वरना तो देश, देश नहीं
सिर्फ एक जमीन का टुकड़ा होता है
जिम्मेदार लोग
अपनी जिम्मेदारी निभाओ
नहीं तो एक दिन
इतिहास तुम्हारे मुंह पर कालिख पोतेगा…
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा