हाय रे लाचारी
दिन गुजर रहे बड़े मायूस
मन डरा डरा
न जाने किसकी खबर मिले
छोड़ गया साथ अपना
दुःख तो है इस बात का
हम कुछ न कर सके
मौत के डर से
मैय्यत में भी न शरीक हो सके
रह गया एक मलाल
हाय रे हाय
कुदरत
यह दिन देखना भी नसीब में था
हाय यह कैसी मज़बूरी
कैसी ये लाचारी