कविता

आया जब से देश में, हैं कोरोना

आया जब से देश में, हैं कोरोना

सभी मायूस,ख़ामोश , सतर्क रहने लगे

जब तक दवाएं न थी, सब दुआओं में महफूज़ थे
दवाएं जो आयी , सब निडर हो गए
फिर जो फूटा कहर, सब आहत हुए
हर घर में दहशत हुई, सब सहमें से हैं
हर घरौंदे में अब ,एक–एक रिक्तता बढ़ने लगी
कुछ वंश ही निरवंश हो रहा हैं
कुछ बच्चें,अनाथ,असहाय,बेबस हो रहे हैं
अब दिन–रात हर ,शमशान घाट रौशन हो रहा हैं
आया जब से देश में, हैं कोरोना ।
काम गया ,कामगारों का जब से
तब से, कई घरों का चूल्हा उदास हो गया हैं
बढ़ती भुखमरी,रोजगार कमतर हुए
मंहगाई बढ़ती रही,लोग डरते रहें,लोग मरते रहें
शासन आदेश करता रहा,प्रशासन भी कोरम पूरा करता रहा
जनता का डर, हर दिन बढ़ता रहा
आज हैं साथ जो,कल होंगे या नहीं
जानें!कब कौन सा क्षण, किसका आखिरी होगा
इस डर के साए में हर दिन, लोग दिवंगत हो रहें हैं
आया  जब से देश में, हैं कोरोना ।
सभी मददगार मसीहों को, मेरा प्रणाम
रहें वे सलामत हैं सब की दुआएं
आओं सब सीखें उनसे हम
आत्ममुग्धता और मनोबल का ज्ञान
करेंगे मिल सब ,कोरोना का विनाश
रहेंगे महफूज़, करेंगें महफूज़ एक दूजे को हम
फिर लौटेंगी खुशियां मेरे देश में
होगा कोरोना दिवंगत मेरे देश से
आया जब से देश में, हैं कोराेंना
सभी मायूस ख़ामोश सतर्क रहने लगे ।।”
—  रेशमा त्रिपाठी

रेशमा त्रिपाठी

नाम– रेशमा त्रिपाठी जिला –प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश शिक्षा–बीएड,बीटीसी,टीईटी, हिन्दी भाषा साहित्य से जेआरएफ। रूचि– गीत ,कहानी,लेख का कार्य प्रकाशित कविताएं– राष्ट्रीय मासिक पत्रिका पत्रकार सुमन,सृजन सरिता त्रैमासिक पत्रिका,हिन्द चक्र मासिक पत्रिका, युवा गौरव समाचार पत्र, युग प्रवर्तकसमाचार पत्र, पालीवाल समाचार पत्र, अवधदूत साप्ताहिक समाचार पत्र आदि में लगातार कविताएं प्रकाशित हो रही हैं ।