आभार तेरा हरी आभार तेरा।
मेरी सांस सांस पर अधिकार तेरा।।
मानव ये तन पाया तेरे करम से
एक एक पल के लिये आभार तेरा।
आभार तेरा हरी आभार तेरा।।
सुख दुख दोनों ही सौगात हैं तेरी
करूँ स्वीकार सब उपकार तेरा।
आभार तेरा हरी आभार तेरा।।
साँसे जो पायी अमानत हैं तेरी
मेरी सांस सांस पर अधिकार तेरा।
आभार तेरा हरी आभार तेरा।।
साँसों की डोर टूटे,जीवन रहे या छूटे
वीणा के तार-तार झंकार तेरा ।।
आभार तेरा हरीआभार तेरा।।
कष्टों ने घेरा आज तेरी धरा को
तू ही बचाने वाला आधार तेरा।।
आभार तेरा हरी आभार तेरा।।
सविता वर्मा ‘ग़ज़ल’