इमरो ने शब्बो को कहा क्यों उठा रही है। भला यह कूड़ा भी उठाने का है। यह कोई कूड़े में थोड़ी बिकता है। तुझे इतने दिन हो गए कूड़ा बीनते २ तो भी तुझे अक्ल ना आई।
शब्बो ने पूछा कि इस में क्या है यह भी तो पिन्नी जैसा ही है। हम एक एक पिन्नी बीन कर ही तो कूड़ा इकठ्ठा करते हैं।
इस पर इमरो ने कहा कि तुझे उस दिन भी बताया था कि यह मास्क है और वैसे भी अस्पताल की भी चीजे नहीं उठानी चाहियें। पता है इन से बीमारियां लग जातीं हैं। अमरो बोली ओहो बड़ी आई मास्टरनी। हम कूड़ा न उठाये तो पेट कैसे भरें और यदि यही कूड़ा फैला ही रहे तो हम तो नहीं पर ये फ़ैलाने वाले जरूर बीमार हो जायेंगे।
यह कूड़ा तो हमारी रोजी रोटी है और हम तो इस के आदि भी हो गये हैं।
— डॉ वेद व्यथित