मुस्कराती आँखें रोते ओठ
“मम्मी,
सच्चाई क्या होती है ?”
“जैसे- ‘हमाम’ साबुन !”
हमाम यानी जहाँ सब जने
नंगे रहते हैं ?
××××
‘नाव’ बेड़ा पार करती है,
किन्तु ‘तनाव’ बेड़ा गर्क
कर डालती है,
परंतु ‘चुनाव’
आर-पार लड़ाती है !
××××
दोस्त को दौलत की
निगाह से
नहीं देखा करते;
वफ़ा करनेवाले दोस्त
अक्सर गरीब हुआ करते!
××××
दूरभाषीय
यानी स्वरदूतीय संदेश
नहीं जा पाने के कारण
सभी 151 मित्रों को
सदाबहार सुप्रभात
और शुभजीवन !
××××
वो सहारे की बात करते हैं,
इशारे में जवाब माँगते हैं;
जो खुद गिर-गिरकर
उठ खड़े हुए हैं;
वो किसी के
इंतज़ार नहीं करते!
मित्र सदानंद चौधरी की तासीर।
××××
कभी आपने देखा है
मुस्कराती आँखें
और
रोते ओठ !
××××