रोगुल्ले, हँसगुल्ले, रसगुल्ले
‘मधुशाला’ खोलकर
सरकार ‘राजस्व’ की
उगाही भले कर ले,
पर वे शराबियों को
लॉकडाउन तोड़ने
और कोरोना पॉजिटिव
करने का
अवसर दे दिए….
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धक धक करने लगी,
मोर जियरी जरने लगी !
जूठा खाने से प्रेम नहीं,
बीमारी बढ़ती है !
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वो सहारे की बात करते हैं,
इशारे में जवाब माँगते हैं;
जो खुद गिर-गिरकर
उठ खड़े हुए हैं;
वो किसी के
इंतज़ार नहीं करते !
एक कवि कहीन
आपको नाम-पता मालूम !
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गिर पड़ते हैं मेरे आँसू,
मेरी ही नोटबुक पर;
लगता है कलम में
इंक से ज्यादा,
दर्द भरा हो !
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कभी आपने देखा है…
मुस्कराती आँखें
और
रोते ओठ !
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बीवी को इतना प्यार दो
कि इसे देख…
पड़ोसन भी आकर कहे-
‘मुझे भी
अपनी बीवी बना लो !’
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