अन्य विभूतियों की नजर में संत मेंहीं
1. पूर्णियाँ की गोद में खेले महान साहित्यकारों, स्वतंत्रता-सेनानियों के साथ संतों में से प्रख्यात संत महर्षि मेंहीं भी खेल चुके हैं– फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ ।
2. हमारे पूज्य गुरु महाराज महर्षि मेंहीं एक महान व्यक्ति थे– दल बहादुर बाबा (नेपाल)।
3. मेरा जब-जब महर्षि मेंहीं जी से साक्षात्कार हुआ है, मैं उनके पुनीत एवम् लोकोत्तर व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना नहीं रहा– डॉ. धर्मेन्द्र ब्रह्मचारी शास्त्री।
4. शांतिदूत महर्षि मेंहीं बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे– डॉ. यशपाल जैन।
5. मैं स्वामी दयानंद और महावीर स्वामी से अत्यधिक प्रभावित था, परंतु परमात्मा के तुरीयातीत स्वरुप का बौद्धिक निर्णय और उनकी प्राप्ति की युक्तियुक्त साधना-विधि तो महर्षि मेंहीं जी चरणों में ही बैठकर प्राप्त की — जैन आचार्य श्री ताले जी।
6. मेरा अहोभाग्य है कि मैं महर्षि मेंहीं जैसे सद्गुरु के संपर्क में आया– विष्णुकांत शास्त्री।
7. महर्षि मेंहीं विश्व कल्याण हेतु जन्म लिये– आचार्य परशुराम चतुर्वेदी।
8. हमारी पत्रिका ‘अवंतिका’ के द्वारा महर्षि मेंहीं जी के हिंदी (भारती) भाषा संबंधी विचार को सम्पूर्ण राष्ट्र के प्रतिष्ठित विद्वतगण ने सराहा है– डॉ. लक्ष्मी नारायण ‘सुधांशु’।
9. महर्षि मेंहीं जी एक दिव्य पुरुष हैं– डॉ. सम्पूर्णानंद।
10. चीन-भारत युद्ध में गुरुदेव महर्षि मेंहीं के ध्यानयोग की अहम् भूमिका ने बिहारी सैनिकों को अंदर से मजबूत किया– डॉ. (मेजर) उपेन्द्र ना0 मंडल।
11. संत मेंहीं महान संत थे— डॉ. महेश्वर प्रसाद सिंह।
12. मेरे पिता प्रातःस्मरणीय मधुसूदन पॉल पटवारी ‘महर्षि मेंहीं’ के गुरु भाई रहे हैं– योगेश्वर प्रसाद ‘सत्संगी’।
13. भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपना दिव्य-रूप दिखाते समय कहा था- मैं ही सबकुछ हूँ । वही मैं ही ‘मेंहीं’ है– प्रो0 सदानंद पॉल।
14. डॉ. माहेश्वरी सिंह ‘महेश’ और डॉ. नागेश्वर चौधरी ‘नागेश’ ने परमसंत महर्षि मेंहीं पर शोध-प्रबंध लिखकर बड़े पुण्य कार्य किये हैं– भूचाल पत्रिका।
15. महर्षि मेंहीं विश्व के उद्भट विद्वान संत थे– भागीरथी पत्रिका।
16.महर्षि मेंहीं जन-जीवन में चिर स्मरणीय नाम है– शांति-सन्देश पत्रिका।
17. महर्षि मेंहीं महान लोक शिक्षक थे– आदर्श-सन्देश पत्रिका।
18. संतमत-सत्संग के संस्थापक-प्रचारक व ‘सब संतन्ह की बड़ी बलिहारी’ के अमर गायक महर्षि मेंहीं बीसवीं सदी के बुद्ध थे– साप्ताहिक आमख्याल।
19. कहते हैं, द्रोणपुत्र अश्वत्थामा की भटकती आत्मा का उद्धार महर्षि मेंहीं आश्रम, कुप्पाघाट में ही हो पायी– दैनिक हिन्दुस्तान।
20. महान संत महर्षि मेंहीं को सादर स्मरण— दैनिक जागरण।
21. महर्षि मेंहीं के उदात्त चेतना को चिर नमन्— दैनिक आज।
अस्तु, वर्णित तथ्यों के मद्देनजर एक भारतीय नागरिक होने के नाते महर्षि मेंहीं को मरणोपरांत आगामी ‘भारतरत्न’ के लिए अलंकृत की जाय !