नए कथित लेखक और लेखिकाएँ
नए कथित लेखक
और लेखिकाएँ
तथा प्रकाशक,
जो जोड़-तोड़ से
‘बेस्ट सेलर’ हो जा रहे हैं,
हिंदी लेखन में
अशुद्धियाँ भर रहे हैं !
ठीक उस भाँति से
कि चट मंगनी,
पट ब्याह !
विदेशी फ़ास्टफूड को
जो बेहतर कहते हैं,
जबकि स्वदेशी ‘फूड’
यानी ठेकुआ, निमकी, कचौड़ी
और मिलाकर झोड़
‘सोयाबीन-अल्लू’ की
सब्जीवाली !
पर उन्हें तो
गुस्सा आता है इस पर
वो लोग सच्चे होते हैं,
मैंने झूठों को अक्सर
मुस्कराते देखा है !
तभी तो-
अमिताभ जी के बहाने-
गिरना भी अच्छा है
औकात का पता चलता है;
बढ़ते हैं जब हाथ
लोगों के उठाने को
अपनों का पता
चलता है !
सच में-
सीख रहा हूँ अब मैं भी
इंसानों को पढ़ने का हुनर;
सुना है चेहरे पे….
किताबों से ज्यादा
लिखा होता है !