संस्मरण

आज तुम्हारी बहुत याद आ रही है माँ !

वह कौन है जो आपकी सब शरारते झेलती है, भूखी रहकर तुम्हरा पेट भर्ती है ? जब तुम बच्चे थे तो कौन तुम्हारे मल मूत्र से भरे बिस्तर को साफ़ करता था, तुम्हारे तपते शरीर को सारी रात जागकर पानी की पटियाँ करता था? पिता की मार से तुम्हे बचता था ? तुम्हारी हर मुश्किल की घडी में सुरक्षा कवच की तरह ढाल बन जाती है ?

वो कोई और नहीं माँ है।

माँ – एक ऐसे शक्शियत की पहचान जो त्याग, बलिदान, क्षमा, धैर्य और प्यार की मूरत है। सारी उम्र जो अपनी ममता आप पर नयोछावार करती है। आप के चेहरे पर एक मुस्कान के लिए वो वारी जाती है। वो पहली गुरु की भांति आपको ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाती है।
एक माँ की दुनिया उसके बच्चों के आसपास घूमती है और बच्चा बचपन से किशोरावस्था और व्यसक होने और यहां तक ​​कि जब उसके अपने बेटियों की शादी भी हो जाती है, वह उन्हें बच्चों की भांति ही समझती है।

मुझे उस समय की बात आज तक याद है जब मैं स्कूल से लौटता और अपने स्कूल बैग को एक तरफ फेंक कर पास के पार्क में खेलने के लिए भाग जाता था। माँ मेरे पीछे दौड़ती और चिल्लाती , “बेटा, तू कुछ खा तो ले ” पर मैं कहा सुनता। यहां तक ​​कि जब मेरे पिता जी मुझे डांटते तो माँ मुझे बचाते हुए कहती, ” वह अभी बच्चा हैं। ” पिताजी हार कर कहते , ” तुम अपने लाडले को ऐसे ही बिगाड़ दोगी। ” माँ पिता जी के क्रोध से हर वक़्त बचा लेती थी।

आज माँ हमारे बीच नहीं पर, उनकी यादे, सीख और संस्कार मुझे हर अँधेरे और मुश्किल घडी में उजाले की रौशनी और सही राह दिखाती है।

— डॉक्टर अश्वनी कुमार मल्होत्रा

डॉ. अश्वनी कुमार मल्होत्रा

मेरी आयु 66 वर्ष है । मैंने 1980 में रांची यूनीवर्सिटी से एमबीबीएस किया। एक साल की नौकरी के बाद मैंने कुछ निजी अस्पतालों में इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर के रूप में काम किया। 1983 में मैंने पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज में बतौर मेडिकल ऑफिसर ज्वाइन किया और 2012 में सीनियर मेडिकल ऑफिसर के पद से रिटायर हुआ। रिटायरमेंट के बाद मैनें लुधियाना के ओसवाल अस्पताल में और बाद में एक वृद्धाश्रम में काम किया। मैं विभिन्न प्रकाशनों के लिए अंग्रेजी और हिंदी में लेख लिख रहा हूं, जैसे द इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदुस्तान टाइम्स, डेली पोस्ट, टाइम्स ऑफ इंडिया, वॉवन'स एरा ,अलाइव और दैनिक जागरण। मेरे अन्य शौक हैं पढ़ना, संगीत, पर्यटन और डाक टिकट तथा सिक्के और नोटों का संग्रह । अब मैं एक सेवानिवृत्त जीवन जी रहा हूं और लुधियाना में अपनी पत्नी के साथ रह रहा हूं। हमारी दो बेटियों की शादी हो चुकी है।