सामाजिक

मां दिवस

मां तो मां होती है उसके समकक्ष कोई नहीं हो सकता. उसका स्थान कोई नहीं ले सकता. मां त्याग और समर्पण की मूर्ति है. मां जैसा त्याग और समर्पण किसका हो सकता है.
एक कहानी पढ़ी थी जिसमें एक लड़का अपनी प्रेमिका को अपना प्यार दिखाने के लिए उसके कहने पर मां का दिल निकाल कर जब उसे देने जाता है और ठोकर खा कर गिरता है तब भी मां के हृदय से यही आवाज निकलती है बेटा चोट तो नहीं अाई.उसकी यही कामना रहती है कि उसकी संतान हर परेशानी से महफूज रहे.यह होता है अपने बच्चे के लिए मां का दिल.
हर संतान को अपनी मां और पिता का पूर्ण ख्याल हर परिस्थिति में रखना चाहिए. दुनियां में हर रिश्ता मिल सकता है पर मां जैसा रिश्ता नहीं मिल सकता.
मां मेरी मां तुझे श्रद्धा नमन.

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020