पंचायत चुनाव
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में,
साहब का निर्देश था।
शिक्षक बने पदाधिकारी,
घर में बड़ा क्लेश था।
करोना काल के निर्देशों की,
खूब धज्जियां उड़ाई गई।
गांव गांव में रंगबाजी थी,
मुर्गा शराब भजिया खाई गई।
बहुत जतन किए बेचारे,
ड्यूटी को कटवाने को।
इस करोना के काल में,
सामाजिक दूरी बनाने को।
झोला झंटा सजाना पड़ा,
रणभूमि में जाने को।
चौपाल की गद्दी पर,
सरपंच को बनाने को।
का काम ना आया ताना-बाना,
मुंह को बना पहुंचे चुनाव धाम।
दिल पर पत्थर रखकर सोचा,
कर लेंगे सब चुनाव का काम।
सर पर पहने टोपी कवच,
मुंह पर मास्क लगाए।
हाथ में दस्ताना पहने,
आंख पर चश्मा चढ़ाए।
सैनिटाइजर ,मास्क, टोपी ,
उनका यह हथियार बना।
मन को कर मजबूत शिक्षक,
साहब की मर्जी पर चला।
जैसे तैसे मर मर के,
निपटाया पंचायत चुनाव।
बच बचाकर मास्टर जी,
पहुंचे अपने गांव।
जब से आए हैं बेचारे,
भाप काढा से नाता है।
मौज मार रहा प्रधान,
मुर्गा रोज उड़ाता है।
— कामिनी मिश्रा