मैं चौकीदार भी नहीं !
एक ‘अनुज’ है,
उसे देख
बड़ी चिंता होती है !
बेहद कम खाते-पीते हैं,
किन्तु ‘भोज’ अटेंड करेंगे !
पर इधर
उनके मुँह से
‘हँसी’ गायब रहती है !
उल्टे चोर
कोतवाल को डाँटे !
पर आज तो
‘उलटी’ हो गई….
सीखने हेतु
अपेक्षित नहीं हैं,
तो मैं
क्या कर सकता हूँ ?
यह गलती ढूढ़ना नहीं,
एक फेसबुकिया
मित्र की ओर से
यही सीख है ।
अगर आपको
मेरी सीख
अच्छा नहीं हो,
तो आप
मेरे मित्र सूची से
सादर निकल सकते हैं !
मुझे भी
अनगढ़ मित्र
नहीं चाहिए !
रही बात हवलदार की,
तो वहाँ पप्पू पहुँचेंगे,
पर मैं
‘चौकीदार’ भी नहीं !