हास परिहास
चलिए कुछ बचकानी बातें कर लें
समझदारी को फेंक
पागल बन जाएं
कुछ तुम हसों मेरी बातों पर
कुछ हम हंसे अपने आप पर.
मेरा ख्याल
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आज नहाते नहाते एक ख्याल आया. आपने नोट किया होगा अक्सर यह ख्याल नहाते और पेट साफ करते वक़्त ही आते हैं. ऐसा क्यों ? मेरे ख्याल में इस समय व्यक्ति एकाग्र होता है और उसका मस्तिष्क ज्यादा ही उर्वरक हो जाता है और इसी दौरान कोई न कोई ख्याल अा जाता है.ख्याल तो ख्याल है कुछ भी अा सकता है ,इस पर कोई रोक नहीं. ऐसे ही जैसे किसी का दिल किसी पर भी मेहरबान हो जाए.
हां यह तो मैंने अभी तक बताया ही नहीं कि ख्याल क्या था. बेफिजूल ख्याल था क्या बताना पर जब अा ही गया है तो बताने में हर्ज क्या? नहीं तो दिमाग दिन भर इसी में उलझा रहेगा कि ख्याल आया था तो बताया क्यों नहीं. नहीं आता तो कोई बात नहीं थी.
ख्याल यह था कि अभी वैशाख हिंदी महीना है. इसके ख़तम होने के बाद 27 मई से 25 जून तक जेठ का महीना चलेगा. जेठ माह को ज्येष्ठ माह भी बोला जाता है.
आखिर हमारे मनीषियों ने इस माह को जेठ या ज्येष्ठ का ही नाम क्यों दिया. इसे सावन, भादों, क्वार का नाम दे देते. नहीं ऐसे कैसे दे देते . उन्होंने बहुत अनुभव और सोच समझ कर ही इसे जेठ या ज्येष्ठ नाम दिया.
जेठ का महीना साल भर का सबसे गर्म महीना होता है. चिलचिलाती धूप और सूरज की किरणें सीधी पृथ्वी पर पड़ती हैं. गर्मी के कारण लू लगना, बुखार, पेट खराब और भी बीमारी होती है, तो जैसे पति के बड़े भाई यानी जेठ से पर्दा करके रहा जाता है या उनके सामना पड़ने पर पर्दा कर लिया जाता है ,ऐसे ही इस महीने में गर्मी से अपने बचाव के लिए जेठ के समान अपने को ढक कर ही घर से बाहर सूर्य भगवान के सामने निकले.इसलिए इस माह को जेठ नाम दिया होगा.
मेरी तो छोटी सी समझ दानी में इतना ही समझ में आया. वैसे आप मित्रों की क्या राय है मेरे इस ख्याल पर.