आप
आप अगर बस इंसान ही बनकर रहते तो अच्छा था,
बात- बात पे हल्ला न मचाते रहते तो अच्छा था।
खुद की ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ कर झट से,
दूसरों का ही सारा दोष न बताते तो अच्छा था।
क्यों वतन से पहले स्वार्थ में लिप्त हुए जा रहे,
कभी तो आप देश का मान बढ़ाते तो अच्छा था।
हर बात में आप की झलकती है चालाकियां बस,
कभी तो मुफ़्त में सच को आजमाते तो अच्छा था।
खुद से पहले जो राष्ट्र हित का सोचते हैं दिल से,
आप भी पहले भारतीय बन पाते तो अच्छा था।
— कामनी गुप्ता