गीत/नवगीत

रोक ले ये कहर

ए ईश्वर अब बहुत हुआ
तू आजा जमीं पर।
रोक ले ये कहर
रोक ले ये कहर
माना इन्सा से हुई है गलतियाँ
तेरे हाथों की है हम कठपुतलियाँ
गलती की मिल गयी सजा अब तो रहम कर
रोक ले,,,,,,

मन्दिर, मस्जिद और गुरूद्वारे
दर दर भटके तेरे सहारे
इन्सा ही इन्सा में फैला
कैसा ये जहर
रोक ले,,,,,
कितने घर उजाड़े हैं बीमारी ने विष घोल दिया
कितने घर के चिरागों को तूने छीन लिया
रुपये पैसे काम न आये
इस जिन्दगी पर
रोक ले,,,,,,,,

वीणा चौबे

हरदा जिला हरदा म.प्र.