बारिश और झूठ
बारिश और सच
अब जब-जब
होती बारिश,
गाँवों में भी तबाही मचाती !
और शहर में वो आकर तो
गंदगी ही फैलाती !
सुन सुन
मेरे मानसून !
कागज की कश्ती
उदास फिरता है अब,
मोहल्ले में
बारिश का पानी !
कि कागज की कश्ती पर
सवार ये बच्चे
मोबाइल से इश्क़ कर बैठे !
इंद्रधनुष
बारिश और रुमानियत
साथ-साथ,
सूरज को
रोज-रोज
देख ही लिए,
पर ‘इंद्रधनुष’ देखे-
बरसों हो गए !
कई अफ़साने
जादूगर जग्गा जी कहीस-
चूहा अगर पत्थर का हो,
तो सभी पूजते हैं,
मगर जिंदा हो,
उसे मारे बगैर हमें चैन कहाँ?
सांप अगर पत्थर का हो,
तो सब पूजते हैं,
जिंदा हो तो मार दिए जाते।
मां-बाप अगर तस्वीर में हो,
तो सब पूजते हैं,
जिंदा हो तो दुत्कारते हैं!
इक पत्थर और फ़ोटो से
इतना प्यार,
क्या यही ज़िन्दगी है,
मेरे यार!