2018 का तारिकनामा
तारिक साहब को ‘तारीख’ भर पहले क्या हो गया! इस्तीफा देना ही था, तो अभी क्यों, माननीय तारिक अनवर साहब ? जब लोकसभा चुनाव 7 महीने बचे हों !
आपने ‘सोनिया’ राग अलापकर कांग्रेस से अलग हुए थे, यह तो तब आपने ‘बीजेपी’ का ही सपोर्ट किया था और अध्यक्षा सोनिया जी ने आपको तब पार्टी से ही निष्कासित कर दी थी।
‘सोनिया’ जी अब भी कांग्रेस की सर्वेसर्वा हैं, फिर किस मुँह से ‘कांग्रेस’ में जाएंगे! रही बात ‘पवार’ की, तो वह सचमुच में पावर हैं! उन्हें तो जब भी इच्छा हुई है, उसने बीजेपी का सपोर्ट किया है, नरेंद्र मोदी तो उनके मित्र-सूची में है और यह अक्षरशः सत्य है, कम से कम नरेंद्र मोदी पर आप तो क्या, आपके पूरे वंशावली अंगुली नहीं उठा सकते हैं!
कटिहार को कई चीजें आपने दिया है, यह जिला आपके अनुग्रही रहेंगे, किन्तु इस संसदीय क्षेत्र के लिए आपने ‘अपने पैरों पे कुल्हाड़ी मार लिया है’, क्योंकि उपचुनाव तो होगी नहीं ! ….. और यहाँ की जनता पुनः देश की सत्ता की भागीदारी खोना नहीं चाहते! अगर आप इस्तीफा देना ही चाहते थे, तो कई साल पहले ही दे देते, क्योंकि कई मर्तबा पवार साहब ने मोदी जी की मुक्तकंठ प्रशंसा ही किये हैं !
पवार साहब को तारिक साहब ने धोखा दिया है, क्योंकि उन्होंने तो इन्हें केंद्रीय राज्यमंत्री भी बनाये एवं कटिहार, बिहार से लोकसभा चुनाव में हार पर महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य हुए । ये तब भी महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्यता से चिपके रहे, जब महाराष्ट्र में बिहारी छात्रों और बिहारी ऑटो चालकों की पिटाई होती रही !
वैसे राजनीति में न स्थायी दोस्त होते हैं, न दुश्मन !