धरा की सुंदरता
प्रकृति की सुंदरता हरी भरी धरा ,
चारों ओर हरे भरे वन धरा की शोभा ,
सुंदर खिले खिले फूल वृक्षों की शोभा,
शीतल -शीतल मंद-मंद बहती पवन ,
हरे भरे वृक्षों के पत्तियों की सरसराहट,
सभी के मन को मंत्र -मुग्ध करती……।
पर्वतों से निकलकर अविरल बहती हुई ,
इठलाती-बलखाती सागर में मिलने को बेताब,
कल – कल बहती नदियों का संगीत,
सागर की क्षितिज तक की विशालता,
प्रकृति की सुंदरता ये बहती हुई नदियाँ …।
रवि से ही मिलता हर मानव को नवजीवन ,
रवि की किरणों से ही धरा की सुंदरता,
चन्द्रमा की चाँदनी से ही शोभित धरा ,
साथ ही अँधेरी रात में टिमटिमाते तारें,
सभी के मन को मंत्र मुग्ध करते…।
इसी सुंदर धरा पर मानव जीवन संवारता,
नित नए अपने स्वप्नों का निर्माण करता,
अपने स्वप्नों को साकार कर उड़ान भरता,
साथ ही प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेता..।