कविता

धरा की सुंदरता

प्रकृति की सुंदरता हरी भरी धरा ,
चारों ओर हरे भरे वन धरा की शोभा ,
सुंदर खिले खिले फूल वृक्षों की शोभा,
शीतल -शीतल मंद-मंद बहती पवन ,
हरे भरे वृक्षों के पत्तियों की सरसराहट,
सभी के मन को मंत्र -मुग्ध करती……।

पर्वतों से निकलकर अविरल बहती हुई ,
इठलाती-बलखाती सागर में मिलने को बेताब,
कल – कल बहती नदियों का संगीत,
सागर की क्षितिज तक की विशालता,
प्रकृति की सुंदरता ये बहती हुई नदियाँ …।

रवि से ही मिलता हर मानव को नवजीवन ,
रवि की किरणों से ही धरा की सुंदरता,
चन्द्रमा की चाँदनी से ही शोभित धरा ,
साथ ही अँधेरी रात में टिमटिमाते तारें,
सभी के मन को मंत्र मुग्ध करते…।

इसी सुंदर धरा पर मानव जीवन संवारता,
नित नए अपने स्वप्नों का निर्माण करता,
अपने स्वप्नों को साकार कर उड़ान भरता,
साथ ही प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेता..।

 

मंजु लता

पिता का नाम -बद्री सिंह चौहान माता का नाम - मुन्नी देवी शिक्षा - M.A.hindi , Education , B.ed सम्प्रति - व्याख्याता हिन्दी ,लेखिका अनुभव - 11 वर्षो से निरंतर पुरस्कार - Best teacher award प्रणेता साहित्य द्वारा सर्वश्रेष्ठ पद्य रचना प्रशस्ति पत्र प्रकाशित रचना- दैनिक नवीन कदम काव्यधारा में कविता ' बसंती बहार' उत्कर्ष मेल पाक्षिक में कविता ' गौरी की शिव वंदना' और कहानी अनूठा प्रेम' विजय दर्पण टाइम्स डेली में कविता रवि का उजियारा, नारी कभी न हारी अभ्युदय हिन्दी मासिक पत्रिका मे लघु कथा 'होली के रंग' दैनिक आधुनिक राजस्थान कविता ' मैं अबला नारी नहीं हूँ ' और नारी का महत्त्व राष्ट्रीय पाक्षिक समाचार पत्र ' की लाइन टाइम्स' में ' नारी कभी न हारी ' दैनिक इंडिया प्राइम टाइम्स में 'नारी का महत्त्व पता - प्लॉट न. 163 , विशाल नगर नवदुर्गा झालामंड जोधपुर (राज.) pincode- 342005 फोन न. - 8949964672